किसान कविता हिंदी

मै किसान हूं

                                       
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मै किसान हूं

International labour day 1 may
ये कविता अंतरराष्ट्रीय किसान दिवस पर किसानो का महत्व उनकी तड़प को समझाने के लिए लिख रहा हूं। किसान जब खेतों में कड़कड़ाती धूप में भी अपने पसीने की धार बहाकर इतनी मेहनतकश करने के बावजूद उन्हें अन्न का सही दाम तो नहीं ही मिलता बल्कि उनके उपजाए फसल के अंकुर भी नहीं होते
इन परिस्थितियों के बावजूद तथा ऐसी तड़प में भी उन्हें खुद पर गर्व होता है, कि वो किसान हैं,,,,, क्योंकि उनके कारण ही पूरे देश की भूख की पीड़ा शांत हैं,, उनपर गर्व है

मुझे पता है हम आप में से कई लोग किसान भाइयों के लिए बहुत कुछ करने में सक्षम है लेकिन किसी दबाव के कारण चाहे वो राजनीति का हो या उच्च-नीच का,, के कारण निर्णय नहीं ले पा रहे होंगे।
1 मेंई किसानों के लिए बहुत ख़ास दिवस होता है अगर आपसे हो सके तो उनके लिए जरूर कुछ करने की कोशिश करना

 ये कविता मै किसान भाइयों को समर्पित करता हूं, मेरे दिल में किसान भाइयों के लिए जो भी है उसे उगल रहा हूं,
इस दौरान अगर मुझसे कोई गलती हो जाए तो माफ कर देना।

मै किसान हूं

रूबरू हुं मिट्टीयो से
ये फसल मेरा ही है
इन्हीं मिट्टीयों मेंं उपजाया हूं
फिरभी भूखा हूं
क्योंकि

"मै किसान हूं"

इस धरा को चीरकर
खून पसीना बहाया
जब मैंने फसल उपजाया
खुदा ने इसलिए मुझे भूखा सुलाया,,
 क्योंकि

"मैं किसान हूं"

उपजाया तो उपजाया
उपजाकर इतना ही क्यों पाया
कीमत,, "जो दिया सो दिया" है
मेरी कीमत इतनी ही है
क्योंकि

"मैं किसान हूं"

अब सुनो

तुम्हारा हर भूख हूं
तुम्हारा हर सुख हूं
मै किसान हूं
इसलिए तुम खड़े हो
तुम्हारी हर नींद का
मैं ही तो चैन हूं
मै सुकून हूं
तुम्हारा खून हूं

मै तड़पता हूं
खेतों में, प्यासे सड़कता हूं
फिर भी
मुझे खुद पर गर्व है
मै देश का शान हूं
क्योंकि

"मैं किसान हूं"

लेखक हेमंत झा

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