16-4-2020 गुजरते अपनी फील को देखा
गुजरते अपनी फील को देखा
रोज सुबह की तरह .....आज भी गुजर रहा था रोड पर की.....
गुजरते अपने #फील को देखा
आसमां के रंगों में ढली वो..... सितारों की तरह चमकते हुए.....गुजर रही थी की......
गुजरते अपने#फील को देखा
बिना देखे देख लिया उसे..... अपने धड़कनों से पहचान लिया.. मैंने.....
गुजरते अपने #फील को देखा
जा रही थी वो..... देखा नहीं मैंने.....पर धड़कनें तेज हुई.... फिर भी समझ नहीं पाया.. मैंने.....
गुजरते अपने #फील को देखा.....
फिर समझा देखा तो नजारा अलग था.....दंग रह गया..... मै सामने से आज.....
गुजरते अपने #फील को देखा.....
सांसें थम गई मेरी.....शांत हो गया मैं.....
गुजरते अपने #फील को देखा.....
फिर देखता रहा उसे..... उसने भी देखा शायद.....
गुजरते अपने #फील को देखा.....
फिर दूर चलीं गईं वो..... मैं भी दूर चला आया.....
गुजरते अपने #फील को देखा.....
शायद उसे भी वही हुआ होगा..... जो कुछ पल के लिए मेरे साथ हुआ .....
#मै_और_मेरा_फील
लेखक हेमंत झा
यह कविता मैंने 16 नवंबर 2017 को फेसबुक पर लिखा था,, आज आपके साथ साझा कर रहा हूं।
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