15-4-2020 मेरी पहली कविता और मेरा पहला ब्लॉग

                              मेरी पहली कविता

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                              मेरा पहला ब्लाग


वो दिन जब मैं पहली बार दिल ❤️ से रोया था और खूब रोया था मुझे आज भी याद है वो मेरे जिंदगी का पहला दिन था जब मुझे कोई चीज लेने के लिए पापा को बहुत सताया, तड़पाया था। वो चीज, वो जिद कुछ और नहीं बस एक मामुली सी साइकिल की थी । मैं दसवीं परीक्षा दी ही थी । उस वक्त बहुत नादान था मैं । मुझे तकलीफें, जरूरते एहमियत के बारे में कुछ नहीं समझ था । बस एक ही जिद थी, मुझे चाहिए तो बस चाहिए ।

उस वक्त मेरे पापा का अपना ट्रक एक्सीडेंट हुआ था,

मेरे पापा जिंदगी और मौत के बीच से उबरे ही थे , घर के हालात बिगड़ गई थीऔर उन्होंने जल्दबाजी में ओटो लेने का फैसला किया था
मेरे पापा ओटो चलाते थे और हमारे जिंदगी जीने के हालात एकदमसे उल्टा हो गया था .. पर मुझे इससब का इतना ज्ञान नहीं था।
एक ओटो चालक अपने बच्चों को 4000 की साइकिल कैसे दिलवा पाते।
मुझे साइकिल नहीं मिल पाई थी,
मुझे बहुत दुख हुआ था। बहुत रोया था मैं ,,,, तो इन सभी बातों को मैंने कविता के रूप में लिखा था ,,,, विस्वास मत करो के तर्ज पर ........जो इस प्रकार है,,,,,,,,,,
                   

मेरी पहली कविता
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विस्वास मत करो

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विस्वास मत करो,
   साथी हो साथ साथ
       माथे पर देकर कहे हाथ,
    विस्वास मत करो
  चाहे हो दोस्त के साथ,
 विस्वास मत करो

खाना हो हाथ में
कहे चलों मेरे साथ में
भूख लगी हो आंत में
विस्वास मत करो

हीरा लेकर हाथ में
कहे बेच लो दुकान में
हूं मैं तेरे साथ में
विस्वास मत करो

दूंगा तुझे नौकरी
मिलेगी तुझे नोट कड़ी
विस्वास मत करो

चला गया मैं साथ साथ
हो गया एक बात
माथे पर देकर कहा था हाथ
कर लिया मैंने विस्वास
काट लिया एक हाथ
ये क्या हुआ मेरा साथ
सोचा नहीं था ऐसा बात
क्यू किया मैंने विस्वास
कर दी मैंने भूल ऐसी
मिल गईं मुझे सजा वैसी।

ये मरी पहली कविता है जिसे मैंने 10वीं परीक्षा के बाद लिखा था।
और
यही मेरा पहला ब्लॉग भी है
जिसे
मैंने आज आपसे साझा किया है।


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